असमंजस
या तो तुम्हारी दुनिया इतनी बड़ी है
जिसमें मेरा वजूद ही नहीं है
या फिर सिमट कर हो गयी इतनी छोटी
बीते पलों का कोई अक्स ही नहीं है .
या तो कसम खा रखी है तुमने
सच को न आने दोगे लबों पर
या फिर अपने मुस्कराने के पीछे
राजों को कहीं दफना दिया है.
या तो भूल चुके हो सब कुछ
यादों का कोई बसेरा नहीं है
या फिर कोशिशों से थक कर
साँसों में अपनी छिपा के रखा है.
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