रविवार, 10 दिसंबर 2017

मुस्कान


मुस्कान

क्या मैं थका हूँ
या फिर परेशान हूँ  
पल पल मैं देता
क्या इम्तिहान हूँ ?
कभी इस से 
कभी फिर उससे
या फिर सभी से भी 
नसीहतें लेता हूँ
जो 
जो भी देता है 
वह समेट लेता हूँ
कान से सुनकर
हाथ में लपेट लेता हूँ
काम का तो जेब में
बेकाम जमीन को भेंट देता हूँ
दूसरे के झूठ को भी
धीरे से समेट लेता हूँ
पर झूठे को कभी
झूठा नहीं कहता हूँ
बेवकूफ सा बन कर
बस मुस्कुरा देता हूँ
अपनी मुस्कराहट का 
मन ही मन मजा लेता हूँ
न जहर पीता हूँ
न उड़ेलता हूँ
नीलकंठ तो हूँ नहीं
पर कुछ कुछ झेल लेता हूँ
बुराइयों के बीच भी
अच्छाईयों से खेल लेता हूँ।

हेम/10.12.2017

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