ये कहानियां न होते हुये जीवन की वास्तविक घटनायें ज्यादा हैं। मेरी संवेदनशीलता का ऐसी घटनाओं को थोड़ा सा मोड़ देते हुए कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है। मैं तो जीवन को दूब घास की तरह मानता हूँ जिसको कोई काटे, उखाडे़ या फिर जला दे वह पानी की पहली बौछार के साथ ही फिर हरी हो जाती है। मेरी ये सभी रचनायें पूर्व में प्रकाशित हो चुकी हैं जो पाठकों व्दारा बेहद सराहीं गयीं।
Copyright Hem Chandra Joshi
गुरुवार, 18 दिसंबर 2008
अन्तरिक्ष मे चोरी
कैंचियों से मत डराओ तुम हमें हम परों से नहीं होसलों से उड़ा करते हैं PURCHASE MY BOOK: कितना सच? कितना झूठ?? at: http://pothi.com/pothi/node/79
हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे बढ़िया लिखे। हजारों शुभकामनांए। कृपयर सैटिंग में जाकर वर्ड वैरिफिकेशन हटा दें । इससे टिप्पणी देने मे परेशानी होती है।
4 टिप्पणियां:
हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे बढ़िया लिखे। हजारों शुभकामनांए।
कृपयर सैटिंग में जाकर वर्ड वैरिफिकेशन हटा दें । इससे टिप्पणी देने मे परेशानी होती है।
Is kahani ke pichle ank bhi padhe. Bacchon ko rochak andaj mein aur vagyanik jankariyan pahunchane ka sarthak pryas hai aapka. Badhai.
आपका चिटठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है अत्यन्त भावभीनी कविता
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वाह वाह वाह वाह वाह क्या बात है दो लाईने ही बहुत कुछ कह गई वाह
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