मंगलवार, 6 जून 2017

यादों का जहर

क्या ज़हर
यादों का भी होता है ?
सदाबहार के बीज की तरह
कहीं भी
किसी भी जगह

उग जाता है।
कभी दिल, कभी दिमाग
कभी आँखों, कभी जुबान
या फिर चेहरे से
बार बार टपक आता है।
खुशी के हर पल को
धीरे से अपने वजूद से ढक लेता है।
हर बीज से एक पेड़
हर पेड़ से हज़ारों बीज
अंतहीन सिलसिला
जो कभी नहीं रुकता है!
हाँ जहर
यादों का भी होता है।

१७-०५-२०१७/हेम

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