★■हैरानी■★
तुझसे हैरान हूँ
बार बार
इस बात से
परेशान हूँ
ये दिलकश
जिंदगी के लम्हे
क्यों
इस तरह गुजार दिये।
कुछ पल
शिकायतों में
और कुछ
आशंकाओं में
निकाल दिये ।
क्यों समझ न सका
कुछ भी तो नहीं
यहाँ अपना
आया हूँ यहाँ मैं
कुछ पल
किसी से उधार लिये !
ये सामान
जो किसी का भी नहीं कभी
इकट्ठा
कर बैठा हूँ क्यों
इतने अरमान लिये ।
कल सुबह की तो
खबर नहीं
क्यों जीता रहा
अब तक
इतना अभिमान लिये ?
अब जब
ज़िंदगी का अर्थ समझा
जड़ व चेतन का
फ़र्क़ समझा
शायद देर हो चुकी
तभी तो कहते हैं आयु व बुद्धि में
साथ नहीं होता।
बस ख़ुशी है अब इतनी
जाऊँगा यहाँ से
बिना कोई अरमान लिये😋😋
हेम/ 16.04.2018
डाक्टर हीरक भट्टाचार्य की डेंटल क्लीनिक से
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